यह रही “झूठा गवाह” नामक अकबर और बीरबल की एक और रोचक कहानी:
झूठा गवाह
एक बार बादशाह अकबर के दरबार में एक मुकदमा आया। एक व्यापारी ने शिकायत की कि उसका एक कर्जदार उसे पैसे वापस नहीं कर रहा है और उल्टा कह रहा है कि उसने कभी कोई कर्ज लिया ही नहीं। कर्जदार ने अपने बचाव में एक गवाह को भी पेश किया, जिसने व्यापारी के दावे को झूठा बताया।
अकबर ने व्यापारी से पूछा, “क्या तुमने इस व्यक्ति को पैसे उधार दिए थे?”
व्यापारी ने जवाब दिया, “जी हाँ, जहांपनाह। मैंने इसके सामने इसके दोस्त को पैसे उधार दिए थे।”
कर्जदार के गवाह ने कहा, “नहीं, महाराज। मैंने कभी ऐसा कुछ होते हुए नहीं देखा। यह व्यापारी झूठ बोल रहा है।”
अकबर ने गवाह से कहा, “अगर तुम झूठ बोल रहे हो, तो तुम्हें कड़ी सजा मिलेगी।”
गवाह ने दृढ़ता से कहा, “जहांपनाह, मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ।”
अकबर ने बीरबल की तरफ देखा और कहा, “बीरबल, इस मामले की सच्चाई का पता लगाने का कोई तरीका है?”
बीरबल ने कुछ देर सोचा और कहा, “जी, जहांपनाह। मुझे एक दिन का समय दें, मैं इस झूठे गवाह की सच्चाई का पता लगा लूंगा।”
अगले दिन, बीरबल ने सभी दरबारियों को दरबार में बुलाया और उस गवाह को भी बुलाया। बीरबल ने घोषणा की, “हमारे महल के बगीचे में एक जादुई कुआँ है। अगर कोई व्यक्ति झूठ बोलता है और उस कुएँ में झाँकता है, तो कुएँ का पानी ऊपर आ जाता है और उस व्यक्ति का झूठ सामने आ जाता है।”
बीरबल ने गवाह से कहा, “अब तुम्हें उस जादुई कुएँ के पास जाना होगा और कुएँ में झाँकना होगा। अगर तुम सच कह रहे हो, तो कुछ नहीं होगा। लेकिन अगर तुम झूठ बोल रहे हो, तो पानी ऊपर आ जाएगा और तुम्हारा झूठ सबके सामने आ जाएगा।”
गवाह घबरा गया, क्योंकि वह जानता था कि वह झूठ बोल रहा है। वह सोच में पड़ गया कि क्या वह कुएँ के पास जाए या नहीं। थोड़ी देर बाद, वह अकबर के सामने झुकते हुए बोला, “जहांपनाह, मुझे माफ कर दीजिए। मैंने झूठी गवाही दी थी। इस व्यापारी का कर्जदार सच में उसका पैसा चुकाने से बचना चाहता था, और मैं उसके कहने पर झूठ बोल रहा था।”
अकबर को बीरबल की चतुराई पर गर्व हुआ। उन्होंने झूठे गवाह को दंड दिया और व्यापारी को उसका पैसा वापस दिलवाया।
इस तरह, बीरबल ने अपनी सूझबूझ से झूठे गवाह की पोल खोल दी और सच्चाई को सबके सामने लाया।