यह रही “सच्चाई का दर्पण” नामक अकबर और बीरबल की एक और दिलचस्प कहानी:
सच्चाई का दर्पण
एक बार बादशाह अकबर के दरबार में एक महत्वपूर्ण मुकदमा आया। एक गरीब किसान ने दरबार में आकर शिकायत की कि उसके पास थोड़ी-सी जमीन है, लेकिन उसका पड़ोसी उसकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। पड़ोसी अमीर और प्रभावशाली था, इसलिए वह अपने झूठे गवाहों और पैसों के बल पर किसान की जमीन हड़पना चाहता था।
अकबर ने किसान और उसके पड़ोसी की बातें सुनीं और पाया कि मामला पेचीदा है। अमीर पड़ोसी ने अपने झूठे गवाहों को पेश किया, जिनकी बातें सुनकर दरबार के अधिकांश लोग भी भ्रमित हो गए। लेकिन बीरबल को इन गवाहों की बातों में कोई सच्चाई नहीं लगी।
अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, तुम क्या सोचते हो? क्या यह मामला इतना जटिल है कि इसे सुलझाया नहीं जा सकता?”
बीरबल मुस्कुराए और बोले, “जहांपनाह, सच्चाई को छिपाया नहीं जा सकता। मैं एक उपाय जानता हूँ जिससे सच्चाई सामने आ जाएगी।”
अकबर ने कहा, “तो फिर जल्दी बताओ, बीरबल!”
बीरबल ने दरबार के बीच में एक बड़ा दर्पण (शीशा) मंगवाया और कहा, “यह है सच्चाई का दर्पण। जो भी इस दर्पण के सामने झूठ बोलेगा, उसका चेहरा इस दर्पण में काला दिखाई देगा।”
अमीर पड़ोसी और उसके गवाह थोड़ा घबरा गए। बीरबल ने पहले किसान को दर्पण के सामने खड़ा होने के लिए कहा और उससे पूछा, “क्या तुम सच कह रहे हो कि यह जमीन तुम्हारी है?” किसान ने बेझिझक ‘हां’ कहा और दर्पण में अपना चेहरा देखा। उसका चेहरा बिल्कुल साफ था।
अब बारी थी अमीर पड़ोसी की। जैसे ही वह दर्पण के सामने आया, वह थोड़ा डर गया। उसने झूठ बोलते हुए कहा, “हां, यह जमीन मेरी है,” लेकिन डर के मारे उसने दर्पण में देखने की हिम्मत नहीं की। बीरबल ने उसे चेहरा देखने को कहा, लेकिन उसने मुंह फेर लिया और बहाना बनाया कि उसे दर्पण में देखने की जरूरत नहीं है।
बीरबल ने मुस्कुराते हुए अकबर से कहा, “जहांपनाह, जिसने झूठ बोला है, वह खुद ही सच्चाई के दर्पण का सामना नहीं कर पा रहा है। इससे साबित होता है कि किसान सच बोल रहा है और अमीर पड़ोसी झूठा है।”
अकबर ने मामले की सच्चाई को समझ लिया और किसान के पक्ष में फैसला सुनाया। अमीर पड़ोसी को उसकी गलत हरकत के लिए दंडित किया गया।
इस प्रकार, बीरबल ने अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से एक बार फिर सच्चाई की जीत दिलाई और गरीब किसान को न्याय दिलाया।